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तुर्की के इस्तांबुल में आए एक नतीजे ने पूरे विश्व को इसकी चर्चा की वजह बना दी है। इस्तांबुल में स्थित हागिया सोफिया म्यूजियम को वहां की सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में बदलने के बड़ा फैसला किया है। फैसले के बाद से ही कहीं इस फैसले का समर्थन किया जा रहा है तो कहीं इसकी आलोचना की जा रही है। मस्जिद के हक़ में फैसला आने से दुनिया भर के मुसलमान काफी उत्साहित नज़र आ रही है। इसकी एक बड़ी है 1500 साल पुरानी इस हागिया सोफिया म्युजिम का मस्जिद बनना है।
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पोप फ्रांसिस ने भी तुर्की सरकार के इस फैसले पर निराशा जताई है। पोप का कहना है कि वो सोफिया म्यूजियम को मस्जिद में बदलने के फैसले से बहुत दुखी हैं। सेंट पीटर्स स्क्वायर में अपनी साप्ताहिक प्रार्थना सभा के दौरान पोप ने कहा, ‘मेरा ध्यान इस्तांबुल की तरफ जा रहा है। सेंट सोफिया के बारे में सोचकर मुझे बहुत दुख होता है।’ दरअसल, ये म्यूजियम मूल रूप से एक चर्च था, उस्मानिया सल्तनत के दौरान इस चर्च को मस्जिद में बदला गया। फिर 1930 के दशक में तुर्की में मस्जिद को फिर से म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया था।
इस तारीखी फैसले का पूरा क्रेडिट तुर्की के राष्ट्रपति तैयब एर्दोगन को जाता है। तुर्की के सुप्रीम कोर्ट ने 1500 साल पहले बनी इस मस्जिद को लेकर जो फैसला सुनाया है उससे ईसाई वर्ग में निराशा देखी जा रही है। हागिया सोफिया को आज से लगभग 1500 साल पहले इसाइयों के मरकज़ के रूप में तामीर किया गया था।
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उसके बाद उस्मानिया सल्तनत ने हागिया सोफिया को फतह कर वह जगह मस्जिद के लिए मुकर्रर कर दी। पहले विश्व युद्ध के दौरान सल्तनत उस्मानिया का खात्मा हो गया और 1930 में इस मस्जिद को हागिया सोफिया म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया। लेकिन सैकड़ों सालों बाद एक बार फिर इस मस्जिद में नमाज अदा की जाएगी।
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान का कहना है कि अदालत के फैसले के बाद इस प्राचीन स्मारक को एक बार फिर मस्जिद मे तब्दील कर दिया गया है और यहां पहली नमाज 24 जुलाई को पढ़ी जाएगी। वर्ल्ड काउंसिल ऑफ चर्चेज ने एर्दोगन से म्यूजियम को मस्जिद में बदलने का फैसला वापस लेने की मांग की है। वहीं वर्ल्ड आर्थोडॉक्स क्रिश्चियन के इस्तांबुल के धार्मिक नेता पैट्रिआर्क बार्थोलोम्यू ने इसे निराशाजनक बताया है। वहीं राष्ट्रपति तैयब एर्दोगन ने कहा कि लगभग 1500 साल पुराना हागिया सोफिया, जो कभी चर्च था, वो अब मुस्लिमों, ईसाईयों और विदेशी लोगों के लिए खुला रहेगा।
एर्दोगन ने कहा कि तुर्की ने अपने संप्रभुता के अधिकार के तहत इसे मस्जिद में बदला है और इस कदम की आलोचना को हमारे संप्रभुता पर हमले के रूप में देखा जाएगा। ग्रीस ने भी तुर्की सरकार के इस कदम की आलोचना की है। वहीं UNESCO ने कहा कि उसकी विश्व धरोहर समिति हागिया सोफिया की स्थिति की समीक्षा करेगी। तुर्की सरकार के इस फैसले से इसके महत्वपूर्ण वैश्विक सीमाओं और धरोहरों को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। जिसके बाद हागिया सोफिया 24 जुलाई को होने वाली नमाज़ पर भी सवालियां निशान खड़े हो रहे है। हालांकि तुर्की के राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया है कि 24 जुलाई बरोज जुमा यहाँ नमाज़ अदा की जाएगी।