उत्तराखंड में जितनी चर्चा और प्रसिद्धि देवभूमि हरिद्वार की है उतनी ही चर्चा और प्रसिद्धि पिरान कलियर शरीफ की है। कलियरी गांव में कलियर शरीफ की दरगाह सूफी संत हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर को समर्पित है। कलियर शरीफ दरगाह ऋषिकेश शहर से 45 और रुड़की शहर 8 कि.मी की दूरी पर स्थित है। पिरान कलियर शरीफ की यह प्रसिद्ध दरगाह को मुस्लिम धर्म के साथ साथ हिन्दू समुदाय के लिए भी एक धार्मिक स्थान माना जाता है।
भारत देश के मुस्लिम समुदाय की यह एक प्रमुख दरगाह हिमालय के शांत वातावरण के बीच स्थित है। कलियर शरीफ की दरगाह में एक रहस्यमयी शक्ति होने की मान्यता है। इस कारण यहां लाखो श्रद्धालुयों की भीड़ रहती है। इस आस्ताने में उर्स के मौके पर भारत के अलग-अलग राज्यों के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश और बहुत से मुल्कों से जायरीन भारत के उत्तराखंड पहुंचते है। अब 2 साल बाद कलियर की वहीं रौनक लौटने वाली है जो कोरोना काल से पहले हुआ करती थी।
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इस साल हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का 754 वां सालाना उर्स मनाया जाना है। झंडा कुशाई यानि की फ्लैग सेरेमनी की रस्म अदा होते है उर्स का आगाज़ हो गया है। हर साल सैकड़ों लोग एक जत्थे के रूप में बरेली शरीफ से पैदल झंडा लेकर आते है। 14 सितंबर को सूफी वसीम साबरी की सरपरस्ती में बरेली से रवाना हुआ था जो 27 सितंबर को कलियर शरीफ पहुंचा।
सूफी वसीम साबरी के साथ कमाल साबरी, हसन साबरी, अजीज अहमद साबरी, सादिक साबरी, नईम साबरी, अतीक साबरी, इमरान साबरी जत्थे में शामिल रहे। मंगलवार शाम को सज्जादानशीन शाह अली एजाज साबरी ने झंडे को दरगाह साबिर के बुलन्द दरवाजे पर फहराकर झंडा कुशाई (फहराना) की रस्म अदा की। शाह अली एजाज साबरी ने बताया कि साबिर पाक के सालाना उर्स में हर वर्ष झंडा कुशाई की रस्म की जाती है। चांद दिखाई देने के बाद मेहंदी डोरी की रस्म के साथ उर्स का विधिवत आगाज हुआ।

सज्जादानशीन ने दरगाह साबिर पाक में मेहंदी डोरी और संदल पेश किया। इसके बाद शाह अली एजाज साबरी और शाह यावर अली एजाज साबरी ने प्रसाद के तौर पर जायरीनों को मेहंदी डोरी बांटी। इस मौके पर देश में अमन चैन, कौमी एकता की दुआएं मांगी गईं। मेहंदी डोरी की रस्म में कव्वालों ने कलाम पेश किए।
9 अक्टूबर को रोशन होगें मन्नतों के चिराग
मौके पर शाह खालिक मियां, शाह सुहैल, दरगाह पानीपत के सज्जादानशीन हाफिज मेराज साबरी, शाह गाजी, नैय्यर अजीम फरीदी, राजी मियां, शाह असद साबरी, गुलशाद सिद्दीकी, सूफी राशिद साबरी, सफीक साबरी मौजूद रहे।
इन दोनों रस्म की अदायगी के बाद 8 अक्टूबर को दरगाह कलियर शरीफ में छोटी रोशनी और 9 अक्टूबर रस्म की अदायगी की जाएगी। जिसके तहत पूरे आस्ताने को लाइटों से सजाया जाएगा। मन्नतों के चिराग रोशन किए जाएगें। पूरी दरगाह को लाइटों, मोमबत्तियों और दियों से सजाया जाएगा।
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9 अक्टूबर को 12 रबी-उल-अव्वल को बाद नमाज़े ज़ोहर आखिरी पैगंबर मोहम्मद मुस्तफा सल्लाहु ताला अलैही वसल्लम की शान को बयां करते हुए दरगाह कलियर शरीफ से एक जुलूस भी निकाला जाएगा। 10 अक्टूबर को कुल शरीफ रस्म की अदायगी की जाएगी। जिसके लिए दुनिया के कोने कोने से साबिर पाक पर निस्बत रखने वाले लोग पिरान कलियर शरीफ पहुंचते है। 11 अक्टूबर को ग़ुस्ल शरीफ रस्म की अदायगी की जानी है जिसके तहत साबिर पाक की मज़ार मुबारक को ग़ुस्ल दिया जाएगा।
गुस्ल के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी की बहुत मान्यता होती है। इस पानी को पाने के लिए श्रद्धालु घंटों कतारों में लगे रहते है। इस पानी का इस्तेमाल रूहानी इलाज के लिए किया जाता है। इसके रस्म के अदा होने के साथ ही उर्स पूरा हो जाता है। चूंकि इस बार कोरोना की गाइडलाइंस और प्रतिबंध नहीं है इसलिए इस मर्तबा लाखों की तादाद में श्रद्धालु उर्स में शिरकत करेगें। जिनके लिए लंगर का माकूल इंतजाम किया जाएगा।