नई दिल्ली || आज हम बात करेगें सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की जो गरीब के लिए कोरोना महामारी के बीच किसी त्रासदी की तरह गुज़रने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने में रेलवे ट्रैक के किनारे से 48 हजार झुग्गी बस्तियों को हटाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में 140 किलोमीटर तक रेलवे ट्रैक के किनारे झुग्गी बस्तियां हैं, जिन्हें हटाया जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश में किसी भी तरह से राजनीतिक दखल नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि टाइम बाउंस तरीके से इन झुग्गियों को रेलवे ट्रैक के बगल से हटाया जाए। जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने हाल के फैसले में कहा है कि अतिक्रमण हटाने से रोकने के लिए किसी भी तरह से देश का कोई भी कोर्ट अगर आदेश पारित करता है, तो वह आदेश प्रभावी नहीं होगा।
यह भी पढ़े- भारत की जर्जर अर्थव्यवस्था के बीच 5 ट्रिलियन इकोनॉमी की उड़ी धज्जियां
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 में ईपीसीए, दिल्ली सरकार और म्युनिसिपल कॉरपोरेशन से कहा था कि वह रेलवे ट्रैक के आसपास के प्लास्टिग बैग, गारबेज और अन्य वेस्ट मटीरियल को हटाने के बारे में समग्र प्लान पेश करें। इसके बाद ईपीसीए ने रिपोर्ट पेश की थी। इस दौरान रेलवे के दिल्ली डिविजन के अडिशनल डिविजनल मैनेजर ने रिपोर्ट दी थी और कहा था कि दिल्ली में 140 किलोमीटर ट्रैक के आसपास 48000 झुग्गियों का अतिक्रमण है। हलफनामे में बताया गया कि इन झुग्गियों को हटाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाई गई, लेकिन राजनीतिक दखलअंदाजी के कारण कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित कर कहा है कि रेलवे ट्रैक के पास के तमाम अतिक्रमण हटाए जाएं और कोई भी राजनीतिक दखलअंदाजी या दबाव नहीं चलेगा।
बता दें कि अदालत ने दिल्ली सरकार, रेलवे विभाग और म्युनिसिपल कॉरपोरेशन से कहा है कि वह तीन महीने के भीतर रेलवे ट्रैक के पास के तमाम वेस्ट मटीरियल हटाएं और भविष्य में कोई भी कॉन्ट्रेक्टर वहां वेस्ट को डंप न करें। अदालत ने कहा कि इस काम में 70 फीसदी भुगतान रेलवे और 30 फीसदी का भुगतान दिल्ली सरकार करेगी।