है कौले मुहम्मद कौले खुदा फरमान ना बदला जाएगा
बदलेगा ज़माना लाख मगर क़ुरआन ना बदला जाएगा।
वो बातिल है और लालची जो चंद पैसों पे बिक जाते हैं
पर अल्लाह के नेक बंदो का ईमान ना बदला जाएगा।
दोस्तों उम्मते मोहम्मदी के लिए कुरान पाक दुनिया की सबसे पाक किताब है। इसके हर अल्फाज़ सौ फीसदी सच और ईमान को ताज़ा करने वाले है। ये वाहिद ऐसी किताब है जिसकी हिफाज़त की जिम्मेदारी खुद अल्लाह तबारक व ताला ने ली है। लेकिन हमारे मुल्क भारत से अब अल्लाह की पाक किताब पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई है। कुरान को तब्दील करने और इसकी पाकीज़गी पर सवाल उठाए जा रहे है। दुनिया की सबसे पाक किताब कुराने मजीद में तब्दीली करने और उम्मते मोहम्मदी को गुमराह करने का एक नया एजेंडा तैयार किया जा रहा है। जी हां सही सुना आपने सुप्रीम कोर्ट में कुरान मजीद की 26 आयतों को हटाने के लिए एक याचिका दायर की गई है। आपको बता दें कि यह याचिका मलून शख्सियत रखने वाला यजीद की औलाद वसीम रिज़वी ने दायर की है जो कभी शिया वक़्फ़ बोर्ड का चेयरमैन हुआ करता था। उसने अल्लाह तबारक व ताला के कौल को बदलने की हिमाकत की है। आपको बता दें कि मलून वसीम रिज़वी ने सुप्रीम कोर्ट में कुरान (Quran) की 26 आयतों से संबंधित याचिका दाखिल की है।
बेशक मुसलमान फिरको में बंटा हुआ है लेकिन जब बात अल्लाह के सबसे प्यारे नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लाहू ताला अलैही वसल्लम और कुराने पाक की हो तो हम सब सिर्फ उम्मते मोहम्मदी है। वो उम्मते मोहम्मदी और प्यारे नबी ए करीम हुजूर मुस्तफा सल्लाहू ताला अलैही वसल्लम और कुरान की शान में जर्रा बराबर भी गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं कर सकते। उम्मते मोहम्मदी अपनी जान दे सकता है लेकिन खुदा से जोड़ने वाले, सिराते मुस्तकीम बताने वाले अल्लाह की इस नैमत की शान में गुस्ताखी नहीं होने दे सकता। पूरी दुनिया में इसकी मुखालफत शुरू हो चुकी है। पूरी दुनिया में वसीम रिज़वी के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा है। इस बयान के खिलाफ सभी शिया एवं सुन्नी उलेमा और राजनीतिक व सामाजिक नेताओं और आम आवाम एक ने होकर इस बयान की मुखालफत करनी शुरू कर दी है।
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दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निज़ामी ने कहा कि वसीम अपना दिमाग़ी संतुलन खो चुके हैं और सुर्खियों में बने रहने के लिए वो इस तरह के बयान देते रहते हैं। उन्होंने कहा कि उनको बेवजह और बेमतलब के बयान देने की आदत है लेकिन हमारा कहना है कि इससे पहले भी बड़े-बड़े बादशाह आए, जिन्होंने कुरान में बदलाव की कोशिश की। यज़ीद और वसीम रिज़वी जैसे फसादी लोग इस दुनिया में आए है और खत्म हो गए। क़ुरान जैसा था वैसे है और आगे भी वैसा ही रहेगा। निजामी ने कहा कि ये बेकार की बातों में जनता को पड़ने की ज़रूरत नहीं है।
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आपको बता दें कि वसीम रिज़वी ने अपनी याचिका में तीनों खलीफाओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने ताकत का इस्तेमाल किया। मोहम्मद सल्लाहू ताला अलैही वसल्लम के बाद पहले खलीफा हज़रत अबू बकर, दूसरे खलीफा हज़रत उमर और तीसरे खलीफा हज़रत उस्मान ने कुरान में तब्दीली करके आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली आयतों को डाला और दुनिया के लिए जारी कर दिया। वसीम ने कहा कि वह ताकत का सहारा लेकर पूरी दुनिया में आगे बढ़े हैं। साथ ही, रिज़वी का यह भी कहना रहा कि कुछ आयतों के ज़रिए ही आतंकी सबक ले रहे हैं और उनका ज़हन कट्टरपंथी की तरफ बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें बहुत सी अच्छी बातें भी हैं, जो इंसानियत के लिए हैं।
इसपर रिज़वी ने कहा कि अल्लाह के मैसेज दो तरह के नहीं हो सकते? दीन के दुश्मन, इब्लीस वसीम रिज़वी के इस बयान के खिलाफ लोगों में बहुत गुस्सा है। तमाम उम्मते मोहम्मदी ने एक होकर यह ऐलान किया है कि 26 आयतों को हटाना तो दूर दुनिया की कोई ताकत कुरान पाक में जबर और ज़ेर की तब्दीली नहीं कर सकती है। क्यों कुरआन – ए – पाक की हिफ़ाज़त की जिम्मेदारी अल्लाह ने ख़ुद ले रखी है और जिसकी ज़िम्मेदारी अल्लाह ने ख़ुद ले रखी हो उसे कोई नहीं बदल सकता, अल्लाह त – आला न कुरआन को जब से उतारा है इसमें न कभी तलबली आयी है और क़यामत तक न कभी आयेगी।