कई फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए
कई दिए चाहिए एक घर सजाने के लिए
मगर एक महिला अकेले ही काफी है घर को स्वर्ग बनाने के लिए।।
ये चंद लाइने दुनिया की उस शक्ति को समर्पित है जिसके बिना इस विश्व की कल्पना भी असंभव है। प्राचीन काल से पुरूषो के दमन का केन्द्र रही महिलाएं अब अपने हक के लिए आवाज़ उठाना जानती है। महिला जानती है अब अपने हक़ को जीना और जीने देना। 8 मार्च का दिन पूरे विश्व महिला सशक्तिकरण को समर्पित है। आज के दिन महिलाओं और उनके संघर्ष को समर्पित है। इस दिन की शुरूआत 1909 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका द्वारा सर्वप्रथम 28 फरवरी को मनाया गया था। सन 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल द्वारा कोपनहेगन में महिला दिवस की स्थापना हुई और 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में लाखों महिलाओं द्वारा रैली निकाली गई थी। महिलाओं की रैली का मकसद नौकरी में भेदभाव खत्म करने से लेकर, सरकारी संस्थानों में समान अधिकार के साथ मताधिकार जैसे कई अहम मुद्दे थे। 1913-14 प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, रूसी महिलाओं द्वारा पहली बार शांति की स्थापना के लिए फरवरी माह के अंतिम रविवार को महिला दिवस मनाया गया। भारत में इस दिन की शुरूआत हुई जब 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मनाना शुरू किया।
पूरे विश्व में महिलाओं के संघर्ष की अनेकों गाथाएं है लेकिन जब बात भारत की हो तो ये संघर्ष कई अधिक चुनौतीपूर्ण प्रतीत होता है। भूतकाल से वर्तमान में अपना परचम लहराती महिलाएं आज सुनहरे भविष्य को संजोने के लिए जानी जाती है। आज महिलाओं का परचम हर जगह है। गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने 3 मार्च को घोषणा की थी कि वह महिला दिवस पर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को महिलाओं को संभालने के लिए देंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत में असाधारण महिलाएं हैं, जिन्होंने कई क्षेत्रों में शानदार काम किया और सफलता हासिल की। और साथ ही उन्होंने एक ट्वीट में लिखा था, “उनका संघर्ष और महत्वकांक्षा लाखों लोगों को प्रेरित करती है। आइए हम ऐसी महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाएं और उनसे सीखें।” अंतरार्ष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पीएम मोदी ने महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नारी शक्ति के जज्बे को उनका नमन है। पीएम ने कहा कि कहा कि जैसा कि मैंने कुछ दिन पहले कहा था मैं अब साइन ऑफ कर रहा हूं, आज दिन भर सात महिलाएं अपनी कामयाबी की कहानी, अपनी जीवन की कामयाबी यात्रा के बारे में मेरे सोशल मीडिया अकाउंट से बताएंगी।
महिलाओं ने तमाम खाइयों को पाटते हुए न सिर्फ समाज की मानसिकता को बदलने का काम किया बल्कि महिला के अदम्य साहस का परिचय पूरी दुनिया में कराया है। भारत में महिलाओं के सम्मान और सश्क्तिकरण के लिए सरकार की तरफ से कई योजनाएं बनाई गई है। जिससे महिलाएं अपने आपको को कमजोर ना समझे और अपने उज्ज्वल भविष्य का सपना पूरा कर सकें। आज हम आपको उन नीतियों के बारे में बताएंगे जिसने समाज में महिला सशक्तिकरण को न सिर्फ बढ़ावा दिया बल्कि समाज में महिलाओं को फलने फूलने का अवसर भी दिया।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम
- बालिकाओं के अस्तित्व, संरक्षण और शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 22 जनवरी, 2015 को पानीपत, हरियाणा में इस कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी|
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य लड़कियों के गिरते लिंगानुपात के मुद्दे के प्रति लोगों को जागरूक करना है|
- इस कार्यक्रम का समग्र लक्ष्य लिंग के आधार पर लड़का और लड़की में होने वाले भेदभाव को रोकने के साथ साथ प्रत्येक बालिका की सुरक्षा, शिक्षा और समाज में स्वीकृति सुनिश्चित करना है|
किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी योजना (सबला)
- केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम की शुरूआत 1 अप्रैल, 2011 को की गई थी|
- इस कार्यक्रम को ‘महिला एवं बाल विकास मंत्रालय’ की देख-रेख में चलाया जा रहा है|
- इस कार्यक्रम के तहत भारत के 200 जिलों से चयनित 11-18 आयु वर्ग की किशोरियों की देखभाल ‘समेकित बाल विकास परियोजना’ के अंतर्गत की जा रही है|
इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना
- यह मातृत्व लाभ कार्यक्रम 28 अक्टूबर, 2010 को शुरू किया गया था|
- इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 19 साल या उससे अधिक उम्र की गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो बच्चों के जन्म तक वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- इस कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा नवजात शिशु और स्तनपान कराने वाली माताओं की बेहतर देखभाल के लिए दो किस्तों में 6000 रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है|
- यह कार्यक्रम ‘महिला एवं बाल विकास मंत्रालय’ द्वारा चलाया जा रहा है|
कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना
- इस योजना का शुभारम्भ 2004 में किया गया था |
- यह योजना वर्ष 2004 से उन सभी पिछड़े क्षेत्रों में क्रियान्वित की जा रही है जहाँ ग्रामीण महिला साक्षरता की दर राष्ट्रीय स्तर से कम हो|
- इस योजना में केंद्र व राज्य सरकारें क्रमशः 75% और 25% खर्च का योगदान करेंगे |
- इस योजना का मुख्य लक्ष्य 75% अनुसूचित जाति/जनजाति/अत्यन्त पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं तथा
- 25% गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवार की बच्चियों का दाखिला कराना है |
- योजना में मुख्य रूप से ऐसी बालिकाओं पर ध्यान देना जो विद्यालय से बाहर हैं तथा जिनकी उम्र 10 वर्ष से ऊपर है।
प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना
- इस योजना की शुरुआत प्रधामंत्री मोदी द्वारा 1 मई 2016 को की गई थी |
- इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन मिलेंगे|
- योजना का मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और उनकी सेहत की सुरक्षा करना है।
- इस योजना के माध्यम से सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले जीवाश्म ईंधन की जगह एलपीजी के उपयोग को बढ़ावा देकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाना चाहती है |
स्वाधार घर योजना
- इस योजना को 2001-02 में शुरू किया गया था |
- इस योजना को ‘महिला एवं बाल विकास मंत्रालय’ के माध्यम से चलाया जा रहा है |
- इस योजना का उद्देश्य वेश्यावृत्ति से मुक्त महिलाओं, रिहा कैदी, विधवाओं, तस्करी से पीड़ित महिलाओं, प्राकृतिक आपदाओं, मानसिक रूप से विकलांग और बेसहारा महिलाओं के पुनर्वास की व्यवस्था करना है।
- इस योजना के अंतर्गत विधवा महिलाओं के भोजन और आश्रय, तलाक शुदा महिलाओं को कानूनी परामर्श, चिकित्सा सुविधाओं और महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसी सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं|
- इस योजना के माध्यम से महिलाओं को अपना जीवन फिर से शुरू करने के लिए शारीरिक और मानसिक मजबूती प्रदान की जाती है ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें|
महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम (STEP)
- इस योजना की शुरुआत 1986-87 में एक केन्द्रीय योजना के रूप में की गयी थी |
- इस योजना को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के माध्यम से चलाया जा रहा है |
- योजना का मुख्य उद्येश्य महिलाओं का कौशल विकास कराकर उनको इस लायक बनाना है कि वे स्व-रोजगार या उद्यमी बनने का हुनर प्राप्त कर सकें |
- इस योजना का मुख्य लक्ष्य 16 वर्ष या उससे अधिक की लड़कियों/महिलाओं का कौशल विकास करना है |
- इस योजना के तहत अनुदान सीधे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को न देकर संस्था/संगठन यहाँ तक कि गैर सरकारी संगठन को सीधे ही पहुँचाया जाता है |
इन योजनाओं का उद्देश्य समाज में महिलाओं को प्रोत्साहित करना है। ताकि महिलाएं आगे आए और अपने हक़ को पहचानते हुए समाज को और अधिक सवारने में अपनी सक्रीय भूमिका को निभा सकें।